वॉशिंग्टन – धरती, चंद्रमा और इनके बीच की कक्षा भविष्य में अंतरिक्ष की युद्धभूमि बन सकती है, इसका अहसास रखकर ‘यूएस स्पेस फोर्स’ को ‘मून वॉरफेअर’ के लिए तैयार रहना होगा, ऐसा इशारा अमरीका के ‘स्पेस वेहिकल डायरेक्टरेट’ ने दिया है। बीते कुछ वर्षों के दौरान कई देश एवं निजी कंपनियों ने चंद्रमा एवं करीबी कक्षा में मुहिम चलाई है। इस पृष्ठभूमि पर अमरीका को अंतरिक्ष में अपने हितों की सुरक्षा के लिए युद्ध की तैयारी भी रखनी होगी, यह इशारा रपट में दिया गया है। कुछ दिन पहले ही चीन और रशिया ने चंद्रमा पर ड़ेरा जमाने की महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया था। इस पृष्ठभूमि पर नई रपट में दिया गया इशारा ध्यान आकर्षित कर रहा है।
‘स्पेस वेहिकल डायरेक्टरेट’ नामक यह यंत्रणा अमरिकी वायुसेना की ‘एअरफोर्स रिसर्च लैबोरेटरी’ का अंग है। इस यंत्रणा को अंतरिक्ष की तकनीक एवं क्षमताओं के अनुसंधान एवं विकास का ज़िम्मा सौंपा गया है। स्पेस वेहिकल डायरेक्टरेट’ ने हाल ही में ‘अ प्राईमर ऑन सिसलुनर स्पेस’ नामक रपट पेश की है और इसमें धरती, चंद्रमा एवं उनकी कक्षा से संबंधित अलग अलग मुहिम और तकनीक एवं अनुसंधान की जानकारी दर्ज़ की हुई है। इस रपट के शुरू में ‘’नासा’ और अमरीका की ‘स्पेस फोर्स’ के बीच एक समझौते का ज़िक्र किया गया है और इसमें चंद्रमा एवं इसके करीबी कक्षा युद्धभूमि बन सकती है, यह इशारा दिया गया है।
‘धरती की भूस्थिर कक्षा के बाहर अंतरिक्ष यान चलाना एक बड़ी चुनौती होती है। अगले कुछ वर्षों में चंद्रमा और उसके आगे व्यावसायिक हित विकसित होने की संभावना है। इसे ध्यान में रखते हुए इससे संबंधित उचित जानकारी रखना एवं सुरक्षा के लिए तैयार रहना ज़रूरी है’, इन शब्दों में ‘स्पेस वेहिकल डायरेक्टरेट’ के संचालक कर्नल एरिक फेल्ट ने इस रपट की अहमियत स्पष्ट की।
अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान वर्ष २०१९ में ‘स्पेस फोर्स’ का गठन किया था। उस समय ‘स्पेस फोर्स’ का उद्देश्य मात्र अंतरिक्ष में अमरीका का अस्तित्व बरकरार रखना ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में अमरीका का वर्चस्व स्थापित करने की ज़िम्मेदारी होगी, ऐसा इशारा ट्रम्प ने दिया था। बीते वर्ष से ‘स्पेस फोर्स’ ने इस दिशा में बड़े कदम उठाने की बात सामने आ रही है। कुछ दिन पहले ही ‘स्पेस फोर्स’ के प्रमुख जनरल जे रेमंड ने अपना दल ‘डायरेक्टेड एनर्जी सिस्टिम’ पर काम करने में जुटा होने की जानकारी प्रदान की थी। इससे पहले अमरीका की ‘स्पेस फोर्स’ ने ‘ओडेसी’ नामक ‘सर्विलन्स सैटलाईट’ अंतरिक्ष में स्थापित करने की जानकारी भी सामने आयी थी। ‘स्पेस फोर्स’ की युनिट द्वारा स्वतंत्र उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित करने की यह पहली घटना थी।
रशिया और चीन द्वारा अंतरिक्ष में तेज़ गतिविधियाँ जारी हैं। दोनों देशों ने हाल ही में चंद्रमा पर अड्डा स्थापित करने का ऐलान किया है। चीन ने अंतरिक्ष स्थानक का निर्माणकार्य भी शुरू किया है और मंगल ग्रह से संबंधित योजनाएँ भी बनाई हैं। रशिया और चीन ने अंतरिक्ष में स्थापित उपग्रह नष्ट करने की क्षमता वाले मिसाइल विकसित किए हैं। यह दोनों देश अंतरिक्ष का सैनिकीकरण कर रहे हैं और चीन जैसे देश की महत्वाकांक्षा अंतरिक्ष के युद्ध को न्यौता देनेवाली होगी, ऐसे इशारे अमरिकी यंत्रणा एवं अफसरों ने पहले ही दिए हैं।
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