लिव्हरपूल – परमाणु समझौते को लेकर अपनी माँगों पर अड़ियल होकर बैठे ईरान को ब्रिटेन और जर्मनी ने आड़े हाथ लिया। ‘ परमाणु समझौते को अगर बचाना है तो विएना में जारी चर्चा यह ईरान के लिए आखिरी अवसर है। समय हाथ से निकला जा रहा है’, ऐसी चेतावनी ब्रिटेन और जर्मनी के विदेश मंत्रियों ने जी7 की बैठक में दी। अगर अमेरिका ने प्रतिबंध हटाए, तो ही परमाणु समझौता संभव है, ऐसी घोषणा ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी ने कुछ घंटे पहले की थी। उस पर ब्रिटेन और जर्मनी ने यह प्रतिक्रिया दी है।
ईरान के साथ परमाणु समझौते के संदर्भ में वियना में जारी चर्चा के दो हफ्ते पूरे हुए। लेकिन समझौता करने के लिए तैयार ना होनेवाले ईरान पर युरोपीय देश नाराज़ हैं। पिछले दो हफ्तों में ईरान ने अमरीका और युरोपीय देशों के सामने, परमाणु समझौते में सहभागी होने से पहले अपनी माँगे मान्य करने की शर्त रखी है। इस बारे में अधिक खुलासा नहीं हो पाया है। लेकिन अमरीका ईरान पर लगाए प्रतिबंध हटाए, ऐसी माँग ईरान के राष्ट्राध्यक्ष रईसी ने किया होने का दावा किया जाता है। शनिवार को चिनी अखबार के साथ बातचीत करते समय भी राष्ट्राध्यक्ष रईसी ने यह सुझाव दिया कि अमरीका ईरान की माँगों पर विचार करें।
रविवार को ब्रिटेन के लिवरपूल में संपन्न हुई जी7 की बैठक में ईरान की इन माँगों की गूंजें सुनाई दीं। ब्रिटेन और जर्मनी की विदेश मंत्रियों ने खुलेआम ईरान को फटकारा। परमाणु समझौते के दायरे में होनेवाली माँगों पर ही विचार किया जा सकता है, ऐसा ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिझ ट्रूस ने कहा है। उसी के साथ, ‘इस परमाणु समझौते में सहभागी होने के लिए यह आखिरी अवसर है, यह ईरान ध्यान में रखें। क्योंकि ब्रिटेन ईरान को परमाणु-अस्त्र-सिद्ध नहीं बनने देगा’, ऐसी घोषणा विदेश मंत्री ट्रूस ने की।
जर्मनी की नवनियुक्त विदेश मंत्री अॅनाबेला बेरबॉक ने भी जी7 की बैठक में ही ईरान को चेतावनी दी। ‘पिछले कुछ दिनों में वियना की चर्चा आगे नहीं बढ़ पाई है। ईरान की सरकार ने की माँगों के कारण, परमाणु समझौते पर जारी चर्चा छह महीने से पिछड़ गई है। परमाणु समझौते के लिए होनेवाला समय हाथ से निकला जा रहा है’, ऐसी आलोचना बेरबॉक ने की।
कुछ दिन पहले फ्रान्स ने भी वियना की चर्चा को लेकर ईरान को फटकारा था। उस पर ईरान ने फ्रान्स की आलोचना की थी। लेकिन रविवार को जी7 की बैठक के बाद युरोप के ‘ईयु3’ अथवा ‘युरोप ट्रॉयका’ के ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी इन देशों ने ईरान के विरोध में सख्त भूमिका अपनाने की बात स्पष्ट हो रही है। ईरान के सरकारी न्यूज़ चैनल ने इसके लिए तीनों युरोपीय देशों की ज़ोरदार आलोचना की।
इसी बीच, जी7 की बैठक में अमरीका के विदेश मंत्री अँथनी ब्लिंकन भी उपस्थित थे। लेकिन उन्होंने युरोपीय देशों की तरह, ईरान के मुद्दे पर कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं दी। बायडेन प्रशासन अभी भी ईरान के साथ चर्चा करने पर अडिग होकर, अब इस्रायल के साथ युरोपीय देशों का भी, ईरान के संदर्भ में सब्र खत्म होता <span;>दिखाई दे रहा है। इस्रायल ने तो अपनी सेना को, ईरान पर हमले करने के लिए तैयार रहने के आदेश दिए हैं।
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