तुर्की से समझौता करने के बाद स्वीडन और फिनलैण्ड के लिए नाटो का मार्ग खुला

माद्रिद – कुछ ही हफ्ते पहले फिनलैण्ड और स्वीडन की, ‘आतंकवाद के समर्थक देश’ के तौर पर आलोचना करने के बाद, अब तुर्की ने इन देशों को नाटो की सदस्यता बहाल करने के लिए मंजूरी प्रदान की है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन से बातचीत की और इसके बाद एर्दोगन ने यह स्वीकृति देने की बात कही जा रही है। मंगलवार को तुर्की ने फिनलैण्ड और स्वीडन के साथ त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अनुसार फिनलैण्ड और स्वीडन ने तुर्की की सभी माँगे मंजूर कीं, ऐसा दावा तुर्की ने किया है। इस समझौते के बाद, बुधवार को नाटो फिनलैण्ड और स्वीडन को नाटो सदस्यता के लिए अधिकृत निमंत्रण देने का ऐलान करेगा, ऐसा नाटो ने कहा।

स्वीडन और फिनलैण्ड

पिछले ७५ सालों से फिनलैण्ड और स्वीडन ने अमरीका-रशिया विवाद में तटस्थ रहने की नीति अपनाई थी। लेकिन बाद में, यूक्रेन की तरह रशिया आप पर भी हमलें कर सकता है, ऐसी संभावना जताकर अमरीका और नाटो के अन्य सदस्य देशों ने फिनलैण्ड और स्वीडन को ड़राया था। इस वजह से, दबाव आने पर फिनलैण्ड और स्वीडन ने पिछले महीनें नाटो के सामने सदस्यता पाने के लिए निवेदन रखा। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने, यह बड़ी गलती साबित होगी, ऐसा कहकर दोनों देशों को कड़ी चेतावनी दी थी।

नाटो के प्रमुख सदस्य देश तुर्की ने भी, फिनलैण्ड और स्वीडन के नाटो प्रवेश का तीव्र विरोध किया था। ‘फिनलैण्ड और स्वीडन की नाटो सदस्यता को लेकर तुर्की का विचार सकारात्मक नहीं। ये दोनों देश आतंकवाद को आश्रय देते हैं। कुछ देशों में आतंकी सांसद भी बने हैं। ऐसें देशों को तुर्की का समर्थन प्राप्त होने की उम्मीद ना रखें’, ऐसें शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने फिनलैण्ड और स्वीडन विरोधी भूमिका अपनायी थी।

तुर्की ने आतंकी संगठन करार दिए ‘कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी’ (पीकेके) के आतंकियों को फिनलैण्ड और स्वीडन आश्रय दे रहे हैं, ऐसा आरोप एर्दोगन ने लगाया था। अमरीका और युरोपीय महासंघ ने ‘पीकेके’ को पहले ही आतंकी संगठन घोषित किया हैं। ऐसें में फिनलैण्ड और स्वीडन का नाटो में हो रहा समावेश इस संगठन के नियमों के खिलाफ ही होगा, ऐसी आलोचना एर्दोगन ने की थी।

फिनलैण्ड और स्वीडन ने ‘पीकेके’ पर कार्रवाई करने की गारंटी दी, तो ही उन्हें नाटो में शामिल करने के लिए अनुमति देने का ऐलान तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने किया था। दोनों देशों को तुर्की मंजूरी प्रदान करें, इसके लिए अमरीका के साथ नाटो के अन्य सदस्य देशों ने भी मध्यस्थता की थी। अमरीका ने तुर्की को कुछ सहूलियतें प्रदान करने की तैयारी दर्शाने का वृत्त भी सामने आया था। मंगलवार को हुए समझौते में फिनलैण्ड और स्वीडन ने, आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई एवं गुनाहगारों का प्रत्यर्पण करने के लिए तैयारी दर्शायी होने का दावा तुर्की ने किया। साथ ही, तुर्की पर लगाए जंगी प्रतिबंध हटाने के लिए भी मंजूरी प्रदान होने की बात कही जा रही है।

फिनलैण्ड और स्वीडन ने समझौते के प्रावधान सार्वजनिक करने से इन्कार किया है। लेकिन, स्वीडन के कुर्दवंशी गुट और सांसदों ने तुर्की के समझौते पर नाराज़गी जतायी है। इस वजह से, आनेवाले दिनों में यूरोप के कुर्दवंशी गुटों की इसपर प्रतिक्रिया प्राप्त होने की संभावना है। लेकिन, स्वीडन के प्रधानमंत्री मैग्डालेना एंडरसन ने, यह समझौता स्वीडन और नाटो दोनों के लिए अच्छा होने का बयान किया है। ऐसें में अमरीका के साथ नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने, मंगलवार को हुए इस समझौते का स्वागत किया है। यह समझौता एक ऐतिहासिक निर्णय होने का बयान स्टॉल्टनबर्ग ने किया।

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