वॉशिंग्टन/मास्को – ‘हम रशिया को कम आंकने सकते। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में लंबे समय तक युद्ध जारी रखने की योजना बना रहे हैं। रशिया ने सेना का अतिरिक्त जमावड़ा करना शुरू किया है। इस युद्ध के लिए रशियन सेना अधिक नुकसान उठाने के लिए भी तैयार दिख रही है। रशिया नए हथियार पाने की भी कोशिश कर रही है। यूक्रेन युद्ध लंबे समय तक चलाने के लिए आवश्यक तैयारी पुतिन ने की है और वह जल्द ही नया आक्रामक अभियान शुरू कर सकते हैं’, ऐसा इशारा नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने किया। यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमीर झेलेन्स्की ने भी इसकी पुष्टि की है और रशिया के भंड़ार में अधिक बड़े हमले करने के लिए पर्याप्त मिसाइलें होने का इशारा भी दिया।
यूक्रेन युद्ध जितना लंबा चलेगा, उतनी ही तादाद में रशिया को नुकसान उठाना पडेगा, यह बयान विश्वभर के सामरिक विश्लेषक कर रहे थे। रशिया के आर्थिक एवं सैन्य स्रोत इस युद्ध में भारी मात्रा में इस्तेमाल किया जाएगा और इससे रशिया का समार्थ्य कमज़ोर हो जाएगा, यही अनुमान इस दावे के पीछे था। लेकिन, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद दस महीने बीत चुके हैं फिर भी रशिया की अर्थव्यवस्था और सैन्यकी क्षमता पर इसका काफी बड़ा असर नहीं पडा। बल्कि, रशियन अर्थव्यवस्था इस युद्ध के समय में अधिक मज़बूत होती जा रही है और यहां रशिया का प्रभाव भी बढ़ रहा है। इसकी वजह से यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए रशिया बिल्कुल उत्सुक नहीं है। बल्कि, अपना उद्देश्य पाए बिना यह युद्ध खत्म नहीं होगा, ऐसा बयान रशियन नेता बडे अविश्वास व्यक्त कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में रशिया को यूक्रेन द्वारा दी गई टक्कर की तहे दिल से सराहना कर रहे अमरीका और नाटो सदस्य देश बेहाल हुए हैं। नाटो प्रमुख स्टोल्टनबर्ग के बयान से इसकी पुष्टि होती है।
पिछले दस महीनों के दौरान यूक्रेन की सेना ने कुछ समय तक रशियन सेना को पीछे हटने के लिए मज़बूर किया था। यूक्रेन की यह सफलता यानी रशिया की हार है ऐसी डींगे हाकना यूक्रेन एवं पश्चिमी माध्यमों ने शुरू किया था। लेकिन, वास्तव में दो से तीन बार वापसी करने के बावजूद बड़े हमले करने की क्षमता उनके पास है। नाटो प्रमुख स्टॉल्टनबर्ग ने भी इसका अहसास कराया। ‘रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने यूक्रेन पर कब्ज़ा करने का ध्येय निर्धारित किया था। इस ध्येय से उनके पीछे हटने के कोई कोई आसार नजर नहीं आए हैं’, इस पर नाटो प्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया।
अन्य युद्धों की तरह रशिया-यूक्रेन युद्ध का अन्त भी बातचीत से ही होगा, ऐसा लगता है। ऐसा हुआ तो यूक्रेन का सार्वभौम और आज़ाद देश के तौर पर बना हुआ स्थान कायम रहना चाहिये, यह दावा भी स्टॉल्टनबर्ग ने किया। इसके लिए यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करना जारी रखकर रशिया रणभूमि पर कभी भी जीत नहीं पाएगी, इसका अहसास पुतिन को कराना आवश्यक होगा, ऐसा भी नाटो प्रमुख ने कहा। युद्ध जीतेंगे नहीं, यह समझ में आने के बाद ही रशिया चर्चा के लिए तैयार होगी, यह इशारा स्टॉल्टनबर्ग ने दिया।
नाटो प्रमुख के बाद यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमीर झेलेन्स्की ने भी रशिया को नए और बड़े हमले करने की क्षमता की चेतावनी दी है। ब्रिटेन के रक्षा विभाग ने भी पिछले कुछ दिनों में रशिया के ‘लॉन्ग रेंज स्ट्राईक्स’ की मात्रा बढ़ने पर ध्यान आकर्षित किया। पिछले दो महीनों में रशिया ने हज़ार से अधिक मिसाइलें और ड्रोन्स का इस्तेमाल करके यूक्रेन को लक्ष्य किया होने की बात स्पष्ट हुई है।
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