सर्बिया में युक्रेन की तरह सरकार का तख्ता पलटने की कोशिशें जारी हैं

- रशियन राजदूत का आरोप

बेलग्रेड/मॉस्को – ‘सर्बिया में जो कुछ हो रहा है वह हाइब्रिड युद्ध का हिस्सा है। सर्बियन सरकार के विरोध में सारी ताकतें एकत्रित हुईं होकर, वे समन्वय के साथ और योजनाबद्ध तरीके से दो मोरचों पर काम कर रही हैं। कोसोवो में घटित होनेवालीं घटनाएं उसी का हिस्सा है। उसी समय, सर्बिया की राजधानी में यूक्रेन की तरह आंदोलन करवाकर सत्ता का तख्ता पलट देने की गतिविधियां जारी हैं’, ऐसा आरोप रशिया के राजदूत अलेक्झांडर बोत्सॅन-खारशेन्को ने किया। वहीं, कोसोवो में हुई नाटो की तैनाती ही इस क्षेत्र में हिंसाचार और तनाव का मुख्य कारण है, ऐसा दोषारोपण रशिया के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने किया है।

युक्रेन की तरह

बाल्कन क्षेत्र का हिस्सा होनेवाले सर्बिया एवं कोसोवो के बीच गत कुछ महीनों से लगातार तनाव बढ़ रहा है। पिछले साल कोसोवो सरकार ने देश के सर्बियन वंश के नागरिकों के विरोध में फैसला करके कार्रवाई शुरू की थी। उसके विरोध में, कोसोवो में अल्पसंख्याक रहने वाली सर्बियन वंश की जनता से तीव्र प्रतिक्रियाएं आई थीं। अपने हक के लिए सर्बियन्स ने शुरू किये आंदोलन ने हिंसक मोड़ ले लिया था। सर्बिया की सरकार ने कोसोवो के फैसले पर ऐतराज़ जताने के बाद अल्प समय के लिए तनाव कम हुआ था।

इस साल अप्रैल महीने में कोसोवो सरकार ने पुराने समझौते का उल्लंघन करके स्थानिक स्तर पर मेयर्स के चुनाव आयोजित किए। इन चुनावों का, अल्पसंख्याक रहनेवाले सर्बियन वंशियों ने बहिष्कार किया था। इस कारण इन चुनावों में अन्य वंशियों के मेयर्स तथा सदस्यों का चुनाव हुआ। लेकिन इन मेयर्स और सदस्यों का सर्बियन वंशियों ने ज़ोरदार विरोध किया होकर, नए से प्रदर्शन शुरू किए हैं। कोसोवो के कुछ भागों में इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की।

युक्रेन की तरह

लेकिन उसके बाद भी सर्बवंशियों ने पीछे हटने से इन्कार किया होकर, प्रदर्शनों ने हिंसक मोड़ ले लिया है। स्थानीय पुलिस को इन प्रदर्शनों को रोकने में असफलता प्राप्त हुई होने के कारण, यहां नाटो के शांति पथकों की तैनाती की गई। संतप्त सर्बवंशियों ने नाटो के पथकों पर भी हमले किए। इन में नाटो पथकों के कई जवान घायल हुए बताए जाते हैं। इस घटना के बाद नाटो समेत यूरोप तथा अमरीका ने कोसोवो के हिंसाचार का गंभीर संज्ञान लेकर, कोसोवो में अतिरिक्त टुकड़िया तैनात करने का ऐलान किया।

दूसरी तरफ सर्बियन सरकार ने अपनी लष्करी टुकड़ियाँ कोसोवो की सीमा पर तैनात कीं हुईं होकर, उन्हें ‘हाई अलर्ट’ के आदेश दिए हैं। कोसोवो स्थित सर्बवंशियों की सुरक्षा के लिए सर्बियन सेना कोसोवो में कार्रवाई करेगी, ऐसे संकेत भी सूत्रों ने दिए हैं। सीमा पर यह तनाव जारी है, ऐसे में सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में राष्ट्राध्यक्ष अलेक्झांडर वुकिक के विरोध में आंदोलन जारी है। सर्बिया में हुईं दो ‘मास शूटिंग’ की घटनाओं का बहाना बनाकर राष्ट्राध्यक्ष वुकिक समेत सरकार के कुछ मंत्रियों तथा अधिकारियों के इस्तीफे की माँग की जा रही है।

युक्रेन की तरह

सर्बिया और कोसोवो के बीच के इस घटनाक्रम पर रशिया से आक्रामक प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। सर्बिया में नियुक्त रशियन राजदूत ने, युक्रेन की तरह सरकार का तख्ता पलटने की कोशिशें जारी होने का आरोप करते हुए, इसके पीछे पश्चिमी देश होने की बात पर गौर फरमाया। वहीं, रशिया के विदेश विभाग की प्रवक्ता मारिआ झाखारोव्हा ने, कोसोवो और सर्बिया के बीच के तनाव के पीछे, नाटो की तैनाती यही मुख्य कारण होने का दावा किया। कोसोवो के मुद्दे को लेकर युरोप समेत पश्चिमी देश लगातार सर्बिया पर तनाव बढ़ा रहे होकर, राष्ट्राध्यक्ष अलेक्झांडर वुकिक ने कुछ ही दिन पहले संगीन आरोप किया था कि देश में ‘कलर रिव्होल्युशन’ करवाने के प्रयास जारी हैं।

पिछले शतक में युगोस्लाव्हिया इस देश का विघटन होकर निर्माण हुए देशों में सर्बिया, माँटेनेग्रो, बोस्निया-हर्झेगोविना, नॉर्थ मॅसिडोनिया तथा कोसोवो का समावेश है। कोसोवो यह सर्बिया से अलग हुआ प्रांत होकर, अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के सभी देशों ने कोसोवो को स्वतंत्र मान्यता नहीं दी है। इस मुद्दे को लेकर अमरीका समेत पश्चिमी देश सर्बिया पर लगातार दबाव बढ़ा रहे हैं। रशिया-युक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर दबाव अधिक ही बढ़ाया जा रहा होकर, युरोपीय महासंघ ने सर्बिया को धमकी दी थी कि वह रशिया अथवा महासंघ के बीच किसी एक का चयन करें।

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