वॉशिंग्टन – शीत युद्ध के बाद के दौर में विश्व में बड़ी प्रगति हुई। इस दौरान निर्माण हुई व्यवस्था को ‘युगोस्लाविया के युद्ध’ से ‘कोरोना के दौर’ तक कई चुनौतियों का मुकाबला करना पड़ा हैं। लेकिन, मौजूदा दौर में जो भी कुछ शुरू हैं वह शीत युद्ध के बाद की व्यवस्था की कसौटी नहीं, बल्कि शीत युद्ध के बाद तैयार हुई व्यवस्था का अन्त हैं, ऐसा दावा अमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने किया।
अमरीका की ‘जॉन हॉपकिन्स युनिवर्सिटी’ के ‘स्कूल ऑफ एडवान्स्ड इंटरनैशनल स्टडिज’ ने आयोजित किए ‘बेझिन्स्की लेक्चर सिरीज’ में दिए व्याख्यान में विदेश मंत्री ब्लिंकन ने अमरिकी विदेश नीति को लेक अपनी भूमिका रखी। उस समय उन्होंने शीत युद्ध के बाद तैयार हुई वैश्विक व्यवस्था का अन्त होने का बयान करके नई व्यवस्था खड़ी हो रही हैं, ऐसे संकेत दिए। शीत युद्ध के बाद के दौर में बरकरार रही भू-राजनीतिक स्थिरता से तानाशाही हुकूमतों के विरोध में स्पर्धा करने की राह खुली होने का बयान अमरिकी विदेश मंत्री ने किया।
फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरू स्पर्धा के लिए रशिया-चीन गठबंधन ज़िम्मेदार होने का आरोप विदेश मंत्री ब्लिंकन ने लगाया। चीन और रशिया के ‘नो लिमिटस् पार्टनरशिप’ के माध्यम से विश्व को एकाधिकार के लिए सुरक्षित करने की गतिविधियां हो रही हैं, ऐसा आरोप भी उन्होंने लगाया। रशिया ने यूक्रेन में शुरू किया युद्ध सार्वभूमता, क्षेत्रिय अखंड़ता, स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के आधार पर खड़े दायरे के लिए लगा सबसे बड़ा खथरा होने का अहसास अमरिकी विदेश मंत्री ने इस दौरान कराया।
‘चीन के अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की पुनर्रचना करने की इच्छा हैं। वह आर्थिक, राजनीतिक, सैन्य एवं प्रौद्योगिकी ताकत भी रखते हैं। इस वजह से चीन एक सबसे बड़ा और लंबं समय के लिए खतरा होगा’, ऐसा इशारा विदेश मंत्री ब्लिंकन ने दिया।
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