ब्रुसेल्स – सूड़ान के पश्चिम दर्फूर में अर्दामता में शुरू हुई हिंसा में एक हजार से भी अधिक लोग मारे गए हैं। पिछले कई सालों से दो समुदाय के बीच निर्माण हुआ तनाव संघर्ष में तब्दिल होने के कारण यह दुर्भाग्यवश घटना होने का दावा किया जा रहा है। लेकिन, दर्फूर मे ‘मसलित’ समुदाय को खत्म करने के लिए यह हिंसा शुरू की गई, ऐसा आरोप जोर पकड़ रहा हैं। कुछ महीने पहले सूड़ान की सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। इसमें मसलित समुदाय ने सेनाप्रमुख जनरल बुरहान के विरोध में अर्धसैनिक बल को सहायता मुहैया की थी। इस वजह से राजधानी खार्तूम पर नियंत्रण रखने वाली जनरल बुरहान की हुकूमत मसलित समुदाय का वांशिक संहार कर रही हैं, ऐसा आरोप लगाया जा रहा है। इसी बीच, दर्फूर में शुरू हिंसा यानी नरसंहार की शुरूआत होने का ड़र यूरोपिय महासंघ ने व्यक्त किया।
इस वर्ष के अप्रैल महीने में सूड़ान की सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच सत्ता संघर्ष शुरू हुआ है। इसमें हजारों लोग मारे गए हैं और लाखों विस्थापित हुए हैं। अमेरिका और सौदी अरब ने दोनों गुटों के बीच युद्ध विराम करने की कोशिश की थी। लेकिन, दोनों गुटों ने युद्ध विराम का प्रस्ताव ठुकराया था। इस वजह से राजधानी खार्तूम और अन्य इलाकों में गृहयुद्ध शुरू था। इस्रायल और हमास के बीच शुरू हुए युद्ध की वजह से सूड़ान के इस संघर्ष की ओर अनदेखी हुई थी। लेकिन, पिछले हफ्ते हुई हिंसा के कारण सभी की चिंता बढ़ी हैं।
४ और ५ नवंबर के दिन दर्फूर के अर्दामता इलाके में मसलित समुदाय पर बड़े हमले हुए। जनरल बुरहान की सेना ने स्थानिय विद्रोहियों की सहायता से मसलित समुदाय को लक्ष्य किया। दो दिन हुए इन हमलों में मसलित समुदाय के एक हजार से भी अधिक लोग मारे गए हैं, ऐसी जानकारी यूरोपिय महासंघ के वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारी जोसेफ बोरेल ने साझा की। मसलित समुदाय को जड़ों से मिटाने के लिए सूड़ान की सेना ने यह नरसंहार किया, ऐसा आरोप बोरेल ने लगाया।
पांच-छह सदियों पहले मसलित समुदाय ट्युनिशिया से चाड़ के ज़रिये सूड़ान पहुंचा था। खेती पर निर्भर यह समुदाय सूड़ान के पश्चिम दर्फूर और चाड़ की सीमा के करीबी इलाके में बसा हैं। सूड़ान में मसलित को बगैर अरब अल्पसंख्याक समुदाय कहा जाता है। इससे पहले वर्ष २००८-०९ में सूड़ान में हुए गृहयुद्ध में जंजाविद आतंकवादियों ने मसलित समुदाय को ही लक्ष्य किया था। एक हफ्ते पहले इस समुदाय पर हुआ हमला वांशिक द्वेष का हिस्सा होने का दावा किया जाता है। वर्ष २००३-२००८ के दौरान दर्फूर में हुए वांशिक संहार में तीन लाख लोग मारे गए थे और २० लाख विस्थापित हुए थे।
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