कर्ज के बढ़ रहे भार की वजह से ६० से अधिक देश दिवालियां होने की दहलिज पर

अमेरिकी अभ्यास गुट का इशारा

कर्ज के बढ़ रहे भार की वजह से ६० से अधिक देश दिवालियां होने की दहलिज पर

बोस्टन- कर्ज के लगातार बढ़ रहे भार के कारण विश्व के ६० से अधिक देशों में आर्थिक संकट उभरने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इन देशों के कर्ज की पुनर्रचना नहीं की गई या इन देशों को कर्ज माफी नहीं मिली तो यह देश दिवालियां हो सकते हैं, ऐसी चेतावनी अमेरिकी अभ्यास गुट की नई रपट में दी गई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के कर्ज का भार लगातार बढ़ रहा है और उन्नत देशों सहित शीर्ष गुटों ने विकासशील देशों की कर्ज की पुनर्रचना करने की मांग हो रही है। लेकिन, इस मुद्दे का अभी तक हल निकल नहीं सका है।

अमेरिका की बोस्टन युनिवर्सिटी के ‘ग्लोबल डेवलपमेंट पॉलिसी सेंटर’ ने नई रपट जारी की है। ‘नाऊ ऑर नेवर’ नामक इस रपट में आर्थिक अस्थिरता, कर्ज की बढ़ती मात्रा एवं पूंजी के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता के ब्याज की बढ़ोतरी का विचार किया गया है।Due to increasing debt burden, more than sixty countries are on verge of bankruptcy इसके लिए विश्व की १०० से अधिक उभरती एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का अभ्यास करने की बात ‘ग्लोबल डेवलपमेंट पॉलिसी सेंटर’ ने स्पष्ट की। इनमें से ९५ देशों के कर्ज का भार काफी बढ़ा है और कुल ६२ देश आर्थिक संकट में होने की ओर ध्यान भी इस रपट में आकर्षित किया गया है।

अफ्रीका और पैसिफिक महासागर का हिस्सा होने वाले ओशनिया’ क्षेत्र के छोटे देश में इसमें शामिल हैं। इनमें से ३३ देशों को अगले चार सालों में एक या उससे अधिक देश या बैंकों को कर्ज की किश्तों का भुगतान करना हैं। Due to increasing debt burden, more than sixty countries are on verge of bankruptcyइनमें से आठ देशों ने उठाएं कुल कर्ज में से ५० प्रतिशत या उससे अधिक कर्ज चीन ने मुहैया करने की जानकारी सामने आयी है। इन देशों को कर्ज माफी नहीं दी या उनके कर्ज की पुनर्रचना नहीं हुई तो यह देश आर्थिक दिवालियां हो सकते हैं, ऐसी चेतावनी अमेरिकी अभ्यास गुट ने दी है।

पिछले दो-तीन सालों में कर्ज उठाने की मात्रा बढ़ी हैं और इसके लिए कोरोना का फैलाव, ‘कॉस्ट ऑफ लीविंग क्राइसिस’, मौसम के बदलाव जैसे मुद्दे ज़िम्मेदार हुए हैं। कर्ज का भार बढ़ने के साथ ही ब्याज दरों की हुई बढ़ोतरी और मुद्रा के मूल्य की हुई गिरावट, कम हुए विकास दर के कारण कर्ज का भुगतान करने में विकासशील देश नाकाम हो रहे हैं। इस वजह से यकायक खड़ी हो रही आपदाओं के साथ अन्य अहम क्षेत्रों के लिए आवश्यक प्रावधान संबंधित देश नहीं कर रहे हैं, इसका अहसास कराया है।

पिछले साल संयुक्त राष्ट्र संघ ने कर्ज के मुद्दे पर जारी की हुई रपट में पिछले दो दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक कर्ज पांच गुना बढ़ने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया था।

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