वैश्विक अर्थव्यवस्था के कर्ज का बोज़ा विक्रमी ३०७ ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर

- ‘इन्स्टीट्यूट ऑफ इनंटरनैशनल फाइनान्स’ की रपट

वॉशिंग्टन – वैश्विक अर्थव्यवस्था के कर्ज का कुल बोजा बढ़कर ३०७ ट्रिलियन डॉलर (३०७ लाख करोड़ डॉलर) तक जा पहुंचा हैं। इन्स्टीट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फाइनान्स (आईआईएफ) नामक अंतरराष्ट्रीय अभ्यास गुट ने यह रपट पेश की हैं। भूराजनीतिक तनाव के कारण रक्षा क्षेत्र के लिए हो रहे अतिरिक्त प्रावधान और बढ़ते ब्याज दरों के कारण कर्ज का यह बोजा बढ़ रहा हैं, ऐसा इशारा ‘आईआईएफ’ ने दिया। वर्ष २०२३ के पहले छह महीनों में ही वैश्विक अर्थव्यवस्था का कर्ज १० ट्रिलियन डॉलर बढ़ा था।

वैश्विक अर्थव्यवस्था

‘इन्स्टीट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फाइनान्स’ ने हाल ही मे ‘ग्लोबल डेब्ट् मॉनिटर’ के तहत नई रपट जारी की। इसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था में खतरनाक ढ़ंग से बढ़ रहे कर्ज के संकट की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। वर्ष २०१९ के अन्त तक यानी कोरोना की महामारी शुरू होने से पहले वैश्विक अर्थव्यस्था पर कर्ज कुल भार २६० ट्रिलियन डॉलर था। आगे के ३.५ वर्षों में यह ४५ अरब डॉलर से भी अधिक बढ़ा है। वर्ष २०२३ के पहले छह महीनों के अन्त तक वैश्विक अर्थव्यवस्था के कर्ज का बोजा बढ़कर ३०७ डॉलर तक पहुंचा हैं।

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नए साल के पहले छह महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर १० ट्रिलियन डॉलर कर्ज बढ़ा हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के ‘जीडीपी’ पर गौर करें तो इस कर्ज की मात्रा कुल ३३६ प्रतिशत होने का एहसास इस अभ्यास गुट ने कराया है।

वैश्विक अर्थव्यस्था के प्रगत देश एवं उभरते बाज़ार (इमर्जिंग मार्केटस्‌’ के तौर पर जाने जा रहे देशों में कर्ज उठाने की मात्रा बढ़ रही हैं। ऐसा ‘आईआईएफ’ की रपट कहती है। वर्ष २०२३ के पहले छह महीनों में उठाए गए कर्ज में ८० प्रतिशत कर्ज प्रगत देशों ने प्राप्त किया है। सबसे अधिक कर्ज पाने वाले देशों में अमरीका, जापान, ब्रिटेन और फ्रान्स का समावेश हैं। वहीं, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में चीन, ब्राज़ील और भारत इन देशों में कर्ज की मात्रा बढ़ने की बात इस अभ्यास गुट ने स्पष्ट की है।

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कर्ज के बढ़ते बोजे के पीछे विभिन्न कारण होने का दावा इन्स्टीट्यूट ऑफ इंटरनैशनल फाइनान्स ने किया। कोरोना के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था का खर्च काफी बढ़ा हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर के भूराजनीतिक तनाव की वजह से कई देशों ने अपना रक्षा खर्च बढ़ाना शुरू किया हैं।

वहीं, पिछले साल से अमरीका के साथ शीर्ष सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दर बढ़ाने के कारण चलनों के मुल्यों में बड़े बदलाव हुए हैं। इन सभीका असर कर्ज की मात्रा बढ़ने पर होने की ओर ‘आईआईएफ’ ने ध्यान आकर्षित किया। आगे के दिनों में ही यह बढ़ोतरी जारी रहेगी और कर्ज के भूगतान का मुद्दा गंभीर हो सकता हैं, ऐसा इशारा इस अभ्यास गुट ने दिया है। पिछले दशक से वैश्विक अर्थव्यवस्था के कर्ज का बोजा १०० ट्रिलियन डॉलर बढ़ा है, इसपर भी वर्णित रपट में ध्यान आकर्षित किया गया है।

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