मास्को – अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए उपग्रह की तय मुहिम खतम होने के बाद अपने आप नष्ट होने की क्षमता रखनेवाले ‘सेल्फ डिस्ट्रॉईंग सैटेलाईट’ का निर्माण किया है, यह दावा रशिया ने किया है| इस अनुसंधान की सहायता से अंतरिक्ष में फैल रहे खतरनाक कुडे की समस्या का हल निकालने के लिए सहायता होगी, ऐसा रशियन अतंरिक्ष संस्था ‘रॉस्कॉस्मॉस’ ने कहा है| फिलहाल अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में करीबन ८,४०० टन कुडा मौजूद है और इससे धरती पर यातायात, दूरसंचार एवं रक्षा क्षेत्र को झटका लगने की संभावना होने की चेतावनी कई बार दी गई है|
रशिया ने पिछले कुछ महीनों में अंतरिक्ष की गतिविधियों को अच्छी गति देने की बात सामने आ चुकी है| तीन महीनों पहले रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए गठित किए गए ‘एरोस्पेस फोर्सेस’ पर ज्यादा ध्यान केंद्रीत करके यह क्षेत्र विकसित करने के लिए जोर देने के आदेश जारी किए थे| इसमें ‘हायपरसोनिक मिसाइल डिफेन्स सिस्टिम’ पर विशेष ध्यान देने के लिए राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कहा था|
इससे पहले अंतरिक्ष में अधिक से अधिक दूरी पर संशोधन करने के लिए बडी स्पर्धा शुरू हुई है और इसमें रशिया भी शामिल होने का दावा रशियन अतंरिक्ष संस्था के प्रमुख दिमित्रि रोगझिन ने किया था| रशिया अपनी महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मुहिमों के लिए ‘अंगारा-ए५’ नाम का ‘स्पेस रॉकेट’ विकसित कर रही है, यह जानकारी भी उन्होंने दी थी| रोगोझिन ने रशिया की संभावित मुहिमों में वर्ष २०३० तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रि भेजने का प्लैन किया है एवं चंद्रमा पर स्वतंत्र और कायम रूप से अड्डा बनाने के संकेत दिए थे|
इस पृष्ठभूमि पर ‘सेल्फ डिस्ट्रॉईंग सैटेलाईट’ का निर्माण करने का दा दावा करना ध्यान आकर्षित कर रहा है| अमरिका के साथ ची, रशिया, भारत, जापान और यूरोपिय देश अंतरिक्ष क्षेत्र में सबसे आगे होने की बात समझी जाती है| जापान एवं यूरोपिय देशों ने अंतरिक्ष में बढ रहे कुडे का अभ्यास करने के लिए एवं इस विषय की समस्या का हल खोजने के लिए कुछ प्लैन भी किए है| जापान ने इस विषय पर अंतरिक्ष का कुडा इकठ्ठा करने के लिए ‘स्पेस सिस्टिम’ विकसित करने का दावा भी किया था|
लेकिन, रशिया ने किया दावा इससे काफी अलग है और अंतरिक्ष में छोडा गया उपग्रह मुहिम खतम होने पर अपनेआप नष्ट होगा| यह उपग्रह तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए गए घटक अंतरिक्ष में अपने आप घुल जाएंगे, यह बात रशिया के दावे में कही गई है| इस संशोधन के लिए रशियन अंतरिक्ष संस्था ने पेटंट भी मांगा है| उपग्रह के लिए इस्तेमाल किए गए घटक ‘घन अवस्था’ से सीधे वायू में परावर्तीत होंगे, यह बात इस पेटंट में कही गई है|
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरिक्ष क्षेत्र यह नई रणभूमि साबित होगी, यह इशारे दिए जा रहे है और ऐसे में ही सामने आया रशिया का नया संशोधन ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित हो रहा है|
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