वॉशिंग्टन: आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स (एआई) की तकनीक मौजूदा दौर में सबसे बड़ी चुनौती बनी हैं और इस तकनीक में हो रही प्रगति के कारण अगले पांच सालों में मशीनें मानवता की जगह लेने का खतरा हैं, ऐसा गंभीर इशारा अमेरिका के ज्येष्ठ कुटनीतिक हेन्री किसिंजर ने दिया। आगे के दौर में आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स इतना ताकतवर बनेगा कि, विज्ञान फिल्मों में दिखाया गया है उस तरह से मानव यंत्रों की सेवा करता दिखाई दे सकता हैं, ऐसा ड़र किसिंजर ने आगाह करते हुए व्यक्त किया। अगले हफ्ते ब्रिटेन में विश्व के पहले ‘एआई सेफ्टी समिट’ का आयोजन किया जा रहा हैं। इस पृष्ठभूमि पर किसिंजर ने यह इशारा देना ध्यान आकर्षित करता है।
एक निजी मुलाकात में किसिंजर ने ‘एआई’ के खतरे की ओर ध्यान खींचा। आज के दौर में यह सबसे बड़ी चुनौती होने का बयान करने के साथ ही इससे उभरने वाले खतरों को टालना मुमकिन नहीं है, यह दावा भी उन्होंने किया। ‘एआई’ प्रौद्योगिकी का सार समझना चाहिये। इससे उसका नज़रिया समझना मुमकिन होगा और उसी तरह से इसका मुकाबला कर सकेंगे, ऐसी सलाह किसिंजर ने दी। किसिंजर ने ‘एआई’ तकनीक पर भूमिका रखने वाली किताब लिखी हैं और इसमें इस तकनीक का समाज, राजनीति के साथ अन्य क्षेत्रों पर होने वाले परिणामों का ज़िक्र हैं।
पिछले कुछ सालों में आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स तकनीक के मुद्दे पर जोरदार चर्चा हो रही हैं। एक ओर इस तकनीक के इस्तेमाल से कई क्षेत्रों की समस्या और मुश्किले दूर होने के दावे किए जा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर इस तकनीक की प्रगति पर किसी का भी नियंत्रण नहीं रहेगा, इसपर ध्यान आकर्षित करके इसके खतरों को लेकर इशारें दिए जा रहे हैं। पिछले वर्ष पेश हुए ‘चैट जीपीटी’ जैसे ‘जनरेटिव एआई’ की पृष्ठभूमि पर इससे संबंधित चर्चा अधिक तेज़ हुई हैं।
मार्च महीने में अमेरिका स्थित ‘फ्युचर ऑफ लाईफ इन्स्टीट्यूट’ नामक अभ्यास गुट ने आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स क्षेत्र के खतरों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खुला खत लिखा था। इसमें आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स क्षेत्र में शुरू बड़े प्रयोग और अनुसंधान का कार्य छह महिनों के लिए बंद करने का आवाहन किया था। इसके बाद ‘एआई’ क्षेत्र के विशेषज्ञ एलिझर युडकोवस्की ने भी ‘स्मार्ट आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स’ का विकास पृथ्वी की मानव जाती के विनाश का कारण बन सकता हैं, ऐसी चेतावनी दी थी।
‘जनरेटिव एआई’ विकसित करने वाले वैज्ञानिक जॉफ्रे हिन्टन ने आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स से उभरने वाला खतरा अधिक अहम होने की ओर ध्यान आकर्षित किया था। वहीं, स्टॅन्फोर्ड युनिवर्सिटी की रपट में इस बात का अहसास कराया गया था कि, ‘एआई’ की वहज से विश्व के सामने परमाणु संकट खड़ा हो सकता है।
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